लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -11)
हमारी शुभकामनाएं:-
ईद:-
चांद दिखने के साथ ही रमजान माह की समाप्ति तथा ईद-उल-फितर मनाई जाती है। 'ईद-उल-फित्र' दरअसल दो शब्द हैं। 'ईद' और 'फित्र'। असल में 'ईद' के साथ 'फित्र' को जोड़े जाने का एक खास मकसद है। वह मकसद है रमजान में जरूरी की गई रुकावटों को खत्म करने का ऐलान। साथ ही छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सबकी ईद हो जाना। यह नहीं कि पैसे वालों ने, साधन-संपन्न लोगों ने रंगारंग, तड़क-भड़क के साथ त्योहार मना लिया व गरीब-गुरबा मुंह देखते रह गए।
शब्द 'फित्र' के मायने चीरने, चाक करने के हैं और ईद-उल-फित्र उन तमाम रुकावटों को भी चाक कर देती है, जो रमजान में लगा दी गई थीं। जैसे रमजान में दिन के समय खाना-पीना व अन्य कई बातों से रोक दिया जाता है। ईद के बाद आप सामान्य दिनों की तरह दिन में खा-पी सकते हैं।
ईद-उल-फित्र इस बात का ऐलान है कि अल्लाह की तरफ से जो पाबंदियां माहे-रमजान में तुम पर लगाई गई थीं, वे अब खत्म की जाती हैं। इसी फित्र से ' फित्रा\' बना है। फित्रा यानी वह रकम जो खाते-पीते, साधन संपन्न घरानों के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देते हैं। ईद की नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी होता है। इस तरह अमीर के साथ ही गरीब की, साधन संपन्न के साथ साधनविहीन की ईद भी मन जाती है।
असल में ईद से पहले यानी रमजान में जकात अदा करने की परंपरा है। यह जकात भी गरीबों, बेवाओं व यतीमों को दी जाती है। इसके साथ फित्रे की रकम भी उन्हीं का हिस्सा है। इस सबके पीछे सोच यही है कि ईद के दिन कोई खाली हाथ न रहे, क्योंकि यह खुशी का दिन है।
यह खुशी खासतौर से इसलिए भी है कि रमजान का महीना जो एक तरह से परीक्षा का महीना है, वह अल्लाह के नेक बंदों ने पूरी श्रद्धा, ईमानदारी व लगन से अल्लाह के हुक्मों पर चलने में गुजारा। इस कड़ी आजमाइश के बाद का तोहफा ईद है।
किताबों में आया है कि रमजान में पूरे रोजे रखने वाले का तोहफा ईद है। इस दिन अल्लाह की रहमत पूरे जोश पर होती है तथा अपना हुक्म पूरा करने वाले बंदों को रहमतों की बारिश से भिगो देती है। अल्लाह पाक रमजान की इबादतों के बदले अपने नेक बंदों को बख्शे जाने का ऐलान फरमा देते हैं।
भूमिका की एक पक्की सहेली भी धर्म से मुसलमान है, जब ईद का त्योहार आता है, तो भूमिका उसे हमेशा शुभकामनाएं एवम बधाईयां देती है। जब वे दोनों विद्यालय में एक साथ पढ़ते थे। तब एक बार ईद के समय उनके एक अध्यापक ने उससे उसकी सहेली के घर जाकर उसे बधाईयां देने का सुझाव दिया था। वैसे तो उन्होंने सभी बच्चों को ऐसा करने को कहा था। परंतु, बाकी लोग तो वहां नहीं गए केवल भूमिका को छोड़कर।
भूमिका जब उसकी सहेली के घर गई तो अचानक उसे आया देखकर उसकी सहेली बेहद खुश हुई। उसकी सहेली की माताजी दोनों के लिए सेवई की खीर लाईं। दोनों ने उसे साथ में खाया और फिर ढेर सारी बातें की। उसकी सहेली ने उसे कुछ पुरानी एल्बम भी दिखाई और दोनों ने साथ में खूब हंसा और एक साथ समय व्यतीत किया।
आज भी दोनों वह दिन याद करके बहुत ही आनंदित होती हैं। ये सच है, कि हमारा देश जितना खूबसूरत है, उसे खूबसूरत बनाने में इन रीति रिवाजों एवम विभिन्न त्योहारों का बहुत ही महत्व है। ये सब बातें हमारे देश को इंद्र धनुष के रंगों से भी ज्यादा रंग प्रदान करती हैं।
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Gunjan Kamal
24-Nov-2022 06:57 PM
👏👌🙏🏻
Reply
Swati Sharma
24-Nov-2022 07:20 PM
🙏🏻😇🙏🏻
Reply
Supriya Pathak
12-Nov-2022 01:08 PM
Shandar 🌸
Reply
Swati Sharma
12-Nov-2022 04:15 PM
Thank you
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Khushbu
11-Nov-2022 04:11 PM
बहुत खूब
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Swati Sharma
11-Nov-2022 07:53 PM
Thank you
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